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इस कहानी में हम बताएँगे कि कैसे एक छोटी सी मकड़ी ने साँप को खाने का प्रयास किया ।
यह कहानी उस समय की है जब एक छोटी सी मकड़ी ने एक साँप को खाने के बारे में सोचा। वह देखने में तो छोटी सी थी लेकिन उसका साहस बहुत बड़ा था जिसके बल पर वह कुछ भी कर सकती थी।
एक दिन मकड़ी ने साँप देखा जो खुले में भोजन की तलाश में घूम रहा था। जिससे मकड़ी को उसे खाने का मौका मिल सकता था।
मकड़ी के दिल में तो आनंद भर गया लेकिन उसे इस बात का पता था कि साँप खाना इतने आसान नहीं होगा। वह बहुत ध्यान से प्लान बनाने में जुट गयी।
उसने सोचा कि उसे साँप को विशेष तरीके से लालच देना होगा इसीलिये उसने एक नकली मुर्गी का चूजा बनाया और उसे वहाँ पर रख दिया जहाँ साँप आता था।
अगले दिन, साँप वाकई उस नकली चूज़े के पास आया और उसे खाने की कोशिश करने लगा। मकड़ी ने यह देखा और वह अपने प्लान को कामयाब समझकर खुशी से झूम उठी।
लेकिन बड़ी खुशी के बाद वह अब उस साँप को खाना चाहती थी लेकिन उसके पास जाते ही उसे समझ आया की वह उसे नहीं खा सकती है। उसे सिर्फ दूर से देखकर ही खाना आसान लग रहा था।
मकड़ी ने जाना कि उसका यह अहंकार गलत था। उसे समझ आया कि धोखेबाज़ी करना उचित नहीं है।